गुलाम कादिर नज़ीबुद्दौला का पोता था। 5 सितंबर 1787 को दिल्ली में असहाय सम्राट शाह आलम के सामने उपस्थित होकर उन्हें दंड देने की धमकी देकर गुलाम कादिर ने उनसे वे समस्त पद तथा शक्तियाँ हड़प लीं.30 जुलाई को गुलाम कादिर और इस्माइल बेग ने लाल किला तथा राजभवन पर अधिकार करके शाह आलम को एक छोटी सी मस्जिद में बंद कर दिया तथा राजकोष एवं हाथ लगने वाली मूल्यवान वस्तुओं को लूटना आरंभ कर दिया। उसके बाद से 68 दिनों तक यह कांड होता रहा जब तक कि उन्हें राजभवन से निकाल नहीं दिया गया। 31 जुलाई 1788 को गुलाम कादिर ने शाह आलम को पदच्युत करके पूर्व सम्राट अहमदशाह के पुत्र बेदार बख्त को 'नासिरुद्दीन मुहम्मद जहाँ शाह' की उपाधि देकर गद्दी पर बैठा दिया।इसके बाद गुलाम कादिर ने राजवंश का सब प्रकार से अपमान किया तथा भीषण कष्ट दिये। अंत में 10 अगस्त को उसने शाह आलम की आँखें भी फोड़ दीं।
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